यूनान के कलाकारों में यह पहली कविता थी जो पत्थर की मूर्ति पर लिखी गई।
यह एक कल्पना थी। जिसमें से इंसान की जिंदगी की नई उषा झांक रही थी- एक संदेश, एक प्रेरणा, एक आदेश था। मूर्तिकार लिसीपस ने इस मूर्ति का निर्माण किया। यह सिक॔दर के समय की बात है
वह पत्थर की मूर्ति आज नहीं मिलती किंतु कैलिस्ट्रॉटस ने उसका चित्र आंखों से देखा था... आइए उसने जो वर्णन किया उसे पढ़े।
अवसर (opportunity) एक लड़का है। वह चढ़ती जवानी का बसंत है, कमनयी है।
जिसके हवा में केश लहरा रहे हैं। लटें ऊंची- कहीं नीचे हैं। उसका मस्तक..... गरिमा से उज्जवल है। उसके कपोलों पर जवानी की ज्योति है। उसके पैरों में पंख लगे हैं जो उसकी बहुत तेज गति का परिचय देते हैं। वह पैरों में ऊंगलियों के बल पर एक शिला पर खड़ा है। मानो उड़ने को तैयार है। घने घुंघराले बाल उसकी भौहों को छू रहे हैं। इन बालों को पकड़ना आसान है। परंतु इसके सिर के पीछे कई भाग में बाल नहीं हैं। जब यह एक दफा गुजर जाता है तो उसे पकड़ना संभव नहीं रहता है। ( ऐसे उस मूर्तिकार ने अवसर को कल्पना से मूर्ति का रूप दिया है)
यूनानी कवि ने इस पत्थर की मूर्ति का जो चित्र देखा था, उसमें एक उस्तरा भी चित्रित था। किसी ने उससे पूछा-
'तू कौन है?'
किसी ने उस मूर्ति से सवाल किया तुम कौन हो?
उसने कहा - सब को अपने वश में कर लेने वाला।'
'तू पैरों की उंगलियों के बल पर क्यों खड़ा है?'
' मैं सदा गतिशील रहता हूं।'
'तेरे दोनों पैरों में दोहरे पंख कैसे लगे हैं?'
'मैं हवा की गति से उड़ता हूं।'
'तेरे हाथ में उस्तरा कैसा है?'
'यह लोगों को बतलाने के लिए कि मैं किसी भी धार से ज्यादा तेज हूं।'
'पर तेरे बाल आगे-आगे आंखों पर क्यों आए हुए हैं?'
'इसलिए कि मुझे इन्हें पकड़ कर ही काबू किया जा सकता है।'
'और तेरे सिर का पिछला भाग गंजा क्यों है?'
'जब एक बार उड़ जाता हूं तो मुझे पीछे से कोई नहीं पकड़ सकता।
'तुझे या कलात्मक रूप क्यों दिया गया है?'
'तेरे लिए है अपरिचित, तुझे ही चेतावनी देने के लिए रखा है...
'तू पैरों की उंगलियों के बल पर क्यों खड़ा है?'
' मैं सदा गतिशील रहता हूं।'
'तेरे दोनों पैरों में दोहरे पंख कैसे लगे हैं?'
'मैं हवा की गति से उड़ता हूं।'
'तेरे हाथ में उस्तरा कैसा है?'
'यह लोगों को बतलाने के लिए कि मैं किसी भी धार से ज्यादा तेज हूं।'
'पर तेरे बाल आगे-आगे आंखों पर क्यों आए हुए हैं?'
'इसलिए कि मुझे इन्हें पकड़ कर ही काबू किया जा सकता है।'
'और तेरे सिर का पिछला भाग गंजा क्यों है?'
'जब एक बार उड़ जाता हूं तो मुझे पीछे से कोई नहीं पकड़ सकता।
'तुझे या कलात्मक रूप क्यों दिया गया है?'
'तेरे लिए है अपरिचित, तुझे ही चेतावनी देने के लिए रखा है...
यह है- अवसर, समय..... जो बीत गया वह फिर नहीं आएगा।
एक देहाती चिकित्सक व दवाई बेचने वाले का किसी काम से एक राज महल में जाना हुआ उस समय राजा बेहोशी में पढ़ा था। चिकित्सक ने उसका कुछ खून निकाल दिया। राजा होश में आ गया।
एक देहाती चिकित्सक व दवाई बेचने वाले का किसी काम से एक राज महल में जाना हुआ उस समय राजा बेहोशी में पढ़ा था। चिकित्सक ने उसका कुछ खून निकाल दिया। राजा होश में आ गया।
राजा बड़ा बदमिजाज और अत्याचारी था। परंतु चिकित्सक ने अपनी बातों की चतुराई से तथा प्रेम पूर्वक व्यवहार से उसे प्रसन्न कर लिया और खूब हंसाया। राजा ने उसे शाही चिकित्सक के पद पर नियुक्त कर लिया। इस प्रकार यदि आम लोगों की भाषा में कहें तो चिकित्सक की किस्मत बन गई।
अब हम चिकित्सक के विषय में चाहे जो कहें पर इस बात में कोई शक नहीं है कि उससे चिकित्सक जैसी योग्यता वाले हजारों चिकित्सक दुनिया में है परंतु उनको कभी ऐसे समय किसी राजमहल जाने का अवसर नहीं मिला, जब कोई राजा ऐसी खतरनाक हालत में हो। इस अवसर ने उसके तथा दूसरे चिकित्सकों में फर्क कर दिया। परंतु इसके साथ यह भी याद रखना चाहिए कि
इस सफलता में उस चिकित्सक की जीवन भर की शिक्षा-दीक्षा का भी बड़ा हाथ था।
उसको अचानक अवसर मिल गया। परंतु यदि वह इस अवसर का फायदा उठाने के लिए पहले से तैयार ना होता तो राज महल में उसके अज्ञान और योग्यता का ही प्रदर्शन होता। अवसर उसके लिए निरर्थक साबित होता। अथवा वह डर जाता कि राजा क्रोधी है और होश में आने पर कहीं उसे दंडित ना करें तो क्या उसका भाग्य खुलता? मगर उसने साहस से काम लिया और अवसर का भरपूर लाभ उठाया।
अवसर की दस्तक
इस बात पर ओलबुल की कथा से और भी प्रकाश पड़ेगा। आज लोग उसे विश्व प्रसिद्ध वायलिन वादक के रूप में जानते हैं। परंतु उसकी साधना के वे लंबे वर्ष है, जब वह एकांत में अभ्यास में लगा रहता था। उनका किसे पता है? कितनी बार तो ऐसा हुआ है कि वह इतना बेखबर हो जाता था कि उसे पता ही नहीं चलता था कि रात कब शुरू हुई।
बहुत वर्ष तक तो वह अज्ञात ही रहा संगीतकार के रूप में उसे किसी ने नहीं जाना। परंतु उसके जीवन के द्वार पर अवसर ने इस प्रकार दस्तक दी-
सुप्रसिद्ध गायिका मालब्रेन 1 दिन उसकी खिड़की के नीचे से गुजर रही थी। वहां बैठा हुआ नार्वे का युवक वायलिन बजा रहा था। मालब्रेन को लगा कि उसने जिंदगी में पहले कभी वायलिन के तारों से निकलता इतना भावपूर्ण संगीत नहीं सुना। उसने इधर उधर से पूछताछ कर के संगीतकार का नाम जान लिया।
इसके कुछ ही दिन बाद एक घटना घटी। गायिका माल ब्रेन का कहीं संगीत कार्य था। किसी बात को लेकर प्रबंधक से उसका झगड़ा हो गया और उसने गाने से इंकार कर दिया।
इधर प्रबंधक ने भी ओलबुल के बारे में सुन रखा था। उसने उसे बुला भेजा। ओलबुल ने उस रात उस सभा में 1 घंटे तक वायलिन बजाया और उस 1 घंटे में अज्ञात ओलबुल संगीत- संसार के सबसे ऊंचे आसन के आसपास पहुंच गया।
अवसर का क्षण उसके द्वार पर आया तो वह स्वागत के लिए तैयार था।
समाप्त
SARAL VICHAR
0 टिप्पणियाँ