जीवन का आनंद लो
मेरी दोस्त की उम्र महज 50 साल की थी। लगभग 8 दिनों के बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गयी ... और उसकी मृत्यु हो गई।
(यहां बात सिर्फ किसी महिला की नहीं है। यह बात हर उस व्यक्ति से लागू होती है जो यह सोचता है कि मेरे बाद पूरी दुनिया का काम रूक जाएगा।)
हमें शोक संदेश मिला कि... "दुख की बात है.. वह हमारे साथ नहीं है" ... RIP
दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। एक विचार मेरे दिमाग को पार कर गया.. उसका पति तो तबाह होना चाहिए क्योंकि मेरे दोस्त के पास बहुत काम था। अपनी मृत्यु तक वह सब कुछ देख रही थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ ...
वह कई बार कहती है.. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, मेरे परिवार को मेरी जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों के ख्याल नहीं रखता है और न ही मेरी मेहनत की प्रश॔सा नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि वे सभी मेरे काम का सम्मान नहीं करते"।
मैंने उसके पति को यह देखने के लिए फोन किया कि परिवार को किसी सहारे की जरूरत है, जैसा कि मुझे लगा कि उनके पति को बहुत बुरा अहसास होना चाहिए..
अचानक से सभी जिम्मेदारियां निभाती हैं.. माता-पिता, बच्चे, उनकी यात्रा, इस पर अकेलापन .. सब कैसे होगा?
एक घंटे के बाद उसने कॉल वापस कर दिया .. उसने बताया वह
अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलने गया था और दोस्तों से मिलना आदि।
यह सुनिश्चित हुआ कि उसके पास अच्छा समय है।
यहां तक कि उन्होंने पुणे ट्रांसफर ले लिया है । इसलिए अब यात्रा नहीं करनी पड़ती है ।
"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;
उसने
जवाब दिया, उसने एक खाना बनाने वाली लगा ली है .. उसने उसे थोड़े और पैसे
दिए और वो किराने का सामान भी ले आती है । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता
के लिए भी एक नौकर लगा लिया है ।
"सब बढ़िया से चल रहा है । बच्चे ठीक हैं। जीवन सामान्य स्थिति में लौट रहा है।
मैंने मुश्किल से एक-दो वाक्य कहे, मेरा गला पसीज गया मैंने फ़ोन रख दिया।
मेरी आंखों में आंसू आ गए।
मेरी सहेली मेरे ख्यालों में बनी रही। वह अपनी सास की बीमारी के चलते स्कूल के दोस्तों से मिलने नहीं आती थी । वह अपनी भतीजी की शादी मे भी नहीं गयी, क्योंकि उसे अपने घर में मरम्मत का काम देखना था ।
वह कई मजेदार
पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा दिलानी
थी और खाना बनाना है, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था।
उसे हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।
वास्तविकता यह थी कि ...
उसके मरने के बाद दो और नौकरानियाँ काम पर ली गईं और घर आराम से चलता रहा।
इसलिए कहते हैं फिर जीवन का आनंद लो .. मन से यह बात निकाल दो कि मैं घर के लिए बहुत जरुरी हूँ । मेरे बिना घर को नुकसान होगा..
आपके बिना भी घर का काम चल सकता है । जिंदगी की गाड़ी रूकती नहीं है। यही सच्चाई है।
सबसे
महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए समय निकालें .. अपने दोस्तों
के साथ संपर्क में रहें। बात करें, हंसें और आनंद लें।
उन चीजों को करें जो आप करना एन्जॉय करते हैं ...
दूसरों में अपनी ख़ुशी मत देखो, तुम भी कुछ खुशियों के हकदार हो। हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है।
हमें अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं है सिर्फ जागना है। बात सिर्फ इतनी है कि अपने लिए भी समय निकालें ।
ज़िंदगी तेरी अजीब परिभाषा है... संवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है।
वक्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिए पर जिंदगी दोबारा नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए।
यह बात हर शख्स से लागू होती है....
JEEVAN KA ANAND LO
Kuchh saal pahale, meree ek dost (sahelee) ne sirph 50 saal kee umr paar
kee thee. lagabhag 8 dinon baad vah ek beemaaree se peedit ho gaee thee
... aur usakee mrtyu ho gaee.
Hamen shok sandesh praapt hua ki ... "dukh kee baat hai .. vah hamaare saath nahin hai" ... rip
Do
maheene baad mainne usake pati ko phon kiya. ek vichaar mere dimaag ko
paar kar gaya .. Usaka pati to tabaah hona chaahie kyonki meree phrend
ke paas bahut kaam tha. apanee mrtyu tak vah sab kuchh dekh letee thee
.. ghar .. apane bachchon kee shiksha ... vrddh sasuraal vaalon kee
dekhabhaal karana .. unakee beemaaree .. rishtedaaron ka prabandhan
karana .. sab kuchh, sab kuchh, sab kuchh ...
Vah kaee baar
vyakt karatee.. "mere ghar ko mere samay kee jaroorat hai, . , mere
parivaar ko meree har cheej me jaroorat hai, lekin koee bhee mere dvaara
kie gae prayaason kee paravaah nahin karata hai aur na hee meree
saraahana karata hai. Mujhe lagata hai ki ve sabhee mere kaam ka sammaan
nahin karate ".
Mainne usake pati ko yah dekhane ke lie fon kiya kee kya parivaar ko kisee sahaare kee jaroorat hai, jaisa ki, mujhe laga ki unake pati ko bahut bura ahasaas hona chaahie .. Achaanak se saaree zimmedaariyaan nibhaana hai, .. Maata-Pita, Bachche, unakee yaatra, is par akelaapan.. sab kaise hoga ?
Ek
ghante ke baad usane call vaapas kar diya .. Usane bataaya vah apane
klab mein ek ghante ke lie tenis khelane gaya tha aur doston se milana
aadi. Yah sunishchit karane ke lie ki usake paas achchha samay hai.
Yahaan tak ki unhonne pune traansaphar le liya hai . Isalie ab yaatra nahin karanee padatee hai .
"Ghar par sab theek hai?" mainne poochha;Usane
javaab diya, usane ek khaana banaane vaalee laga lee hai .. Usane use
thoda aur paise die aur vo kiraane ka saamaan bhee le aatee hai . Unhonne apane boodhe maata-pita ke lie bhee ek naukar laga liya hai .
"Sab badhiya se chal raha hai . bachche theek hain. jeevan saamaany sthiti mein laut raha hai.
Mainne mushkil se ek-do vaaky kahe mera gala paseej gaya mainne fon rakh diya.
Meree aankhon mein aansoo aa gae.
Meree
sahelee mere khyaalon mein banee rahee. Vah apanee saas kee beemaaree
ke chalate skool ke doston se milane nahin aatee thee . Vah apanee
bhateejee kee shaadee me bhee nahin gayee, kyonki use apane ghar mein
marammat ka kaam dekhana tha .
Vah kaee majedaar paartiyon aur
philmon se chook gaee thee kyonki usake bachchon kee pareeksha dilaanee
thee aur khaana banaana hai, use apane pati kee jarooraton ka khyaal
rakhana tha.
Usane hamesha kuchh prashansa aur kuchh pahachaan kee talaash kee thee .. Jo use kabhee nahin milee.
Vaastavikata yah thee ki ...
Usake marane ke baad do aur naukaraaniyaan kaam par lee gaeen aur ghar aaraam se chalata raha.
Isalie
kahate hain phir jeevan ka aanand lo .. Man se yah baat nikaal do ki
main ghar ke lie bahut jaruree hoon . Mere bina ghar ko nukasaan hoga..
Aapake bina bhee ghar ka kaam chal sakata hai . Jindagee kee gaadee rookatee nahin hai.
Sabase
mahatvapoorn baat yah hai ki apane aap ke lie samay nikaalen .. Apane
doston ke saath sampark mein rahen. baat karen, hansen aur aanand len.
Un cheejon ko karen jo aap karana enjoy karate hai ...
Doosaron
mein apanee khushee mat dekho, Tum bhee kuchh khushiyon ke hakadaar
ho. Hum sabhee ke paas jeene ke lie keval ek hee jeevan hai.
हमें अपने जिम्मेदारियों से भागना नहीं है सिर्फ जगाना है। बात सिर्फ इतने हैं कि आपके झूठ भी समय निकालेन।
सरल विचार
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