यमराज हमारे मित्र
यम ने कहा कि मैं यम हूँ, मृत्यु हूँ और एक दिन मुझे हर किसी के दरवाजे पर आना पड़ता है। जिसके दरवाजे पर पहुँचता हूँ फिर खाली हाथ नहीं लौटता, कितनी भी सेना क्यों न हो, बीच में से उठा लेता हूँ। किले में रहता हो, मैं वहीं से ले आता हूँ। झोपड़ी में रहता हो, उसे भी ले आता हूँ। कोई दवाईयाँ जानता हो, मेरे ऊपर कोई दवाई काम नहीं करती, कितनी भी विद्या जानता हो कोई विद्या काम नहीं करती, कोई कितना बड़ा ज्योतिषी हो, मेरा अनुमान नहीं लगा पाता। विधाता ने तो रेखाएं लिखीं हैं लेकिन मेरी वाली रेखा पढ़ना आसान नहीं है। जब आना होता है तो आदमी की जिंदगी की बनी रेखा दिखाई देती रहती है और मैं अपना काम कर जाता हूँ।
इसलिए मुझसे मिलकर तुम दुःखी हुए होंगे, तुम्हें खुशी नहीं हुई होगी।
उस आदमी ने डर कर कहा, 'नहीं-नहीं, आप तो बहुत बड़े आदमी हैं, आपसे मिलकर तो हमें बड़ी खुशी हुई है। लोग आपसे डरते होंगे लेकिन आप तो हमारे मित्र बन
गए हैं।' जैसे इंसान गिड़गिड़ाने के भाव में बोलता है, उसी तरह से
गिड़गिड़ाता रहा।
आदमी का मन तो ऐसा विचित्र है कि वह लोमड़ी की तरह से अपना काम करता है। कोई चीज मिल जाए तो अंगूर बहुत मीठे, न मिल पाये तो अंगूर खट्टे थे। मनुष्य बड़ा अवसर वादी है। इंसान, नेता की तरह अवसरवादी होता है। नेता की पहचान होती है कि लड़ने वालों में पीछे रहता है और भागने वालों में आगे। नेता अगर पानी में गिर जाए तो एकदम नहाना शुरु कर देता है। गलती से गिरा होगा, पर नहाना शुरु कर देगा और लोगों को बताना शुरु कर देगा कि यहाँ नहाने में बड़ा पुण्य मिलता है, मैं ऐसे ही यहाँ नहीं आया हूँ। इसी तरह से डुबकी लगाने से आराम मिलता है, बड़ा आनंद मिलता है। वह आनंद ही आपका नेता है, आपको यही तो भटकाता है।
मनुष्य बड़ी चालाकी
की भाषा बोलता है। उस आदमी ने यमराज को बहका लिया और कहा, 'आप मिले हैं तो
एक मैं ही हूँ जो आपका स्वागत करने वाला हूँ, नहीं तो कौन आपको अच्छा कहने
वाला है। आप मिले हैं तो दो कदम तो साथ चलें। चलने से निकटता तो हो ही
जाती है। इस जिंदगी में कोई दो कदम साथ चलता है, कोई सात कदम साथ चलता है।
जिंदगी भर कौन किसका साथ निभाता है ? आप मिल गए हो, आपने बहुत कृपा की। अब
हमारा एक काम जरूर कर देना।' यम ने पूछा, 'भाई कौन सा काम?' आदमी बोला, 'एक
दिन तो आपने आना ही है, लेकिन ऐसा हो कि जब आप आओ तो हम आपके स्वागत की
तैयारी तो कर सकें क्योंकि आप हमारे मेहमान हो और मित्र भी हो। इसलिए जब आओ
तो आने से पहले एक बार अपनी कोई चिट्ठी-पत्री भेज देना कि मैं आने वाला
हूँ। हम काम भी समेट लेंगे, थोड़े तैयार भी हो जाएंगे, एक साथ दो काम हो
जाएंगे।' यम ने कहा कि मित्रता की बात है तो हम भी वचन देते हैं कि हम
तुम्हारे पास आने से पूर्व पत्र भेज देंगे। तो वह बोला, 'अगर जल्दी पत्र
भेज सको तो अच्छी बात है।' यम ने कहा, जरूर, तुम्हारा थोड़ा ज्यादा ध्यान
रखेंगे।' अब वह आदमी दुनिया में आकर मस्त हो गया कि यम तो हमारा मित्र हो
गया, जब आएगा तो वह सूचना अवश्य देगा।
एक दिन अचानक यम आ गया। उस
आदमी के सामने आकर उसके कान पकड़ के कहा, उठो भाई, चलते हैं अब तो।' उस
आदमी ने चौंककर पूछा कि आपने कोई पत्र तो नहीं भेजा और एकदम कह रहे हो कि
चलो। यम ने कहा, 'मैंने बहुत पत्र भेजे हैं, पर तुमने एक भी पत्र ठीक से
नहीं समझा।' आदमी बड़ा घबराया, उसने कहा कि एक भी पत्र मेरे पास नहीं
पहुँचा। डाकिया गलत जगह पहुँच गया होगा। यम ने कहा, मैंने ऐसे पत्र भेजे
हैं जिसकी रसीद मेरे पास भी है और तुम्हारे पास भी है, पत्र अभी तक दिखाई
दे रहा है। सामने रखा हुआ है।' आदमी घबराया और बोला, ऐसा कौन सा पत्र है?'
यम बोला, 'जब तुम बहुत उलझते जा रहे थे, बड़ा तनाव पैदा करते जा रहे थे,
रात और दिन मारा-मारी में लगे हुए थे कि यह इकट्ठा कर लूं, वह इकट्ठा कर
लूं, तब मैंने पहला पत्र भेजा। पत्र क्या था कि तुम्हारे कानों के पास
मैंने बालों में थोड़ी सी सफेदी कर दी। इस तरह मैंने तुम्हें इशारा किया कि
अब तुम एक काम करो, शांत रहो, शांत रहने के दिन हैं, तनाव बढ़ाने के नहीं।
शांत रहोगे तो आनंदित रहोगे।
सफेद बाल का मतलब है कि अब उलझो नहीं,
अब सुलझो। जैसे-जैसे सफेदी बढ़ती है, तो अपने तनाव को, काम को कम करते
जाओ। उलझो नहीं । मोह के धागे में उलझोगे तो दुखी होते जाओगे। इस तरह मैंने
तुम्हारे पास पहला पत्र भेजा।' दुनिया से कोई विदाई लेता है तो कफन का रंग
सफेद रखा गया है क्योंकि यह शांति का रंग है। कहीं झगड़ा चल रहा हो तो दो
देशों में लड़ाई चल रही हो तो बीच में अगर सफेद झंडा दिखा दिया गया तो इसका
मतलब संधि का प्रस्ताव आ गया, अब चुप हो जाना चाहिए। यम ने भी कहा कि भाई,
मैंने भी सफेद झंडा दिखाया कि अब तुम संधि कर लो, दुनिया से समझौता कर लो।
तुम कब तक लड़ते रहोगे? उलझनें तो ऐसी ही रहेंगी। अब थोड़ा शांत रहने की
कोशिश करो। लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया और अपने बालों को और काला कर
लिया।' आदमी बोला, 'यह गलती तो हमने कर ली, पर और भी तो कोई चीज होनी चाहिए
जो हमारी समझ में आए।
यम ने कहा, 'उसके बाद मैंने सोचा कि यह आदमी
फिर भी ध्यान नहीं देता, जबकि इसके बाल सफेद हो रहे हैं। मैंने सोचा हो
सकता है इसको सिर्फ मतलब की चीजें ही दिखाई दे रही हो, जबकि अंतर्मुखी होने
के लिए बाहर की आँखें बंद करनी पड़ती हैं। तब मैंने तुम्हारे देखने की
शक्ति में थोड़ी सी कमी पैदा कर दी। तुमने चश्मा लगाना शुरु कर दिया। उसके
बाद भी तुम सतर्क नहीं हुए।' आदमी ने कहा कि इसके बाद तो आपने कोई पूर्व
सूचना नहीं भेजी। यम बोले, 'उसके बाद मैंने सोचा कि तुम खाने-पीने पर बड़ा
ध्यान दे रहे हो, तब मैंने तुम्हारे दाँत हिलाने शुरु कर दिए तो तुमने
दाँतों का इलाज कराना शुरु कर दिया। तुम नकली दाँत लगाने की तैयारी में भी आ
गए लेकिन तुमने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन मैंने जब देखा कि यह आदमी
अभी भी नहीं समझ रहा,
तो मैंने तुम्हारी हजम करने की शक्ति को क्षीण कर दिया कि अब तो यह आदमी समझेगा। तुमने उस पर भी ध्यान नहीं दिया। आगे चलकर मैंने तुम्हारे घुटनों में दर्द करना शुरु किया कि अब कहाँ जाना है, बहुत दुनिया देख ली, अब कम से कम एक जगह बैठकर उलझने की बजाए सुलझने की कोशिश करो, भगवान की ओर आओ, लेकिन तब भी तुमने ध्यान नहीं दिया। आखिर में यह निर्णय किया कि जिनके लिए तुम तरसते हो, जिनके पीछे तुम भागते हो, उनका मोह तोड़ने की कोशिश की, उन्हीं को रोकने की कोशिश की। तुम बूढ़े हो गए, तुम्हारे पास कोई नहीं आता, अकेले बैठे रहते हो, तुम दुनिया को बुलाते हो पर दुनिया तुम्हारे पास नहीं आती। मैंने यह करके देख लिया लेकिन तुमने फिर भी दुनिया की चाहत और मोह-माया को अपने अंदर बसाए रखा। तुम अकेले बैठकर भी अपनों को याद करते रहे।
जो भगवान के बंदे थे, उनका तो तुम्हें ध्यान ही नहीं रहा। मैं तुम्हें बार बार जगाता रहा, चेताता रहा लेकिन तुमने कोई भी बात नहीं सुनी।
अब मैं आ गया हूँ। अब ये मत कहना कि मैंने तुम्हें समझने का मौका नहीं दिया। मैंने तो तुम्हें बार बार जगाया लेकिन तुम ही नहीं जागे। मैं क्या करूं। वास्तविकता तो यही है कि यम का संदेश सबके पास आता है। वह यही कहता है कि इंसान! तू जाग। तुम कहाँ खो गए हो? लेकिन इंसान है कि संसार में रात दिन अपनी चिंताओं में उलझता जाता है, फँसता जाता है। यही दुःख का कारण है। जैसे-जैसे विवेक जागता है तो उसे पता लगता है कि संसार का एक मार्ग वह भी है, जिस पर चलने से शांति आती है जीवन में इतना कड़वा नहीं बनना कि दुनिया थू-थू करे, इतना मीठा भी नहीं बनना कि दुनिया चबाए और खा जाए। इस दुनिया में धूर्त और दुष्टों के सामने दृढ़ होना भलों के सामने विनम्र हो जाना। संसार में इतना संग्रह नहीं करना कि दुनिया में उलझ जाओ और संग्रह प्रवृति से इतना दूर भी नहीं हट जाना कि तुम्हारा काम ही न चल सके। संसार के पदार्थों के संग्रह का ध्यान भी करना लेकिन गुण ग्रहण करने का अभ्यास भी करना। तुम अपने परिवार की उन्नति पर भी ध्यान देना । जहाँ-जहाँ इंसान संतुलन ले आता है, उसका श्रेय मार्ग कहाँ जाएगा। इसे मध्यम मार्ग भी कहा गया है। जीवन में एक संतुलन कायम कर लो, आदर्श को सामने रखकर चलो। अच्छाई के लिए थोड़ा कष्ट सहन करना पड़ जाए तो सहो, लेकिन जो इस तरह से चलता है, ऐसे लोगों से मृत्यु आकर उनका शरीर छीन कर ले भी जाए तो भी उनको कोई मार नहीं पाता। उनकी गाथाएं ऐसे ही कही जाती हैं जैसे आज भी जिंदा बैठे हों। उनका नाम हमेशा ही लिया जाता है और ऐसा व्यक्ति जिस परिवार, जिस खानदान में जन्म लेता है, उसका असर सात पीढ़ियों तक रहता है।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Ek baar yamaraaj shakl badalakar teerth sthal mein khade hue the. Ek insaan vahaan aaya, snaan kiya, ganga se baahar nikala, saamane khade hue insaan ko dekhakar usaka sahayog karane laga. saamane vaala vyakti vaastav mein yam tha. Un donon mein dostee ho gaee. thodee door donon ek doosare ke saath chale. saath chalate-chalate donon ne ek doosare ka parichay poochh liya. Us aadamee ne badh chadh kar apana parichay diya lekin yam ne seedha yahee kaha ki bhaee, mera naam sunoge to tum dar jaoge. Isalie mere baare mein jaanakaaree lene kee jaroorat nahin hai. Us aadamee ne kaha, nahin, aap apana parichay bataie.
Yam ne kaha ki main yam hoon, mrtyu hoon aur ek din mujhe har kisee ke daravaaje par aana padata hai. jisake daravaaje par pahunchata hoon phir khaalee haath nahin lautata, kitanee bhee sena kyon na ho, beech mein se utha leta hoon. Kile mein rahata ho, main vaheen se le aata hoon. Jhopadee mein rahata ho, use bhee le aata hoon. Koee davaeeyaan jaanata ho, mere oopar koee davaee kaam nahin karatee, kitanee bhee vidya jaanata ho koee vidya kaam nahin karatee, koee kitana bada jyotishee ho, mera anumaan nahin laga paata. Vidhaata ne to rekhaen likheen hain lekin meree vaalee rekha padhana aasaan nahin hai. Jab aana hota hai to aadamee kee jindagee kee banee rekha dikhaee detee rahatee hai aur main apana kaam kar jaata hoon.
Isalie mujhase milakar tum duhkhee hue honge, tumhen khushee nahin huee hogee.
Us aadamee ne dar kar kaha, nahin-nahin, aap to bahut bade aadamee hain, aapase milakar to hamen badee khushee huee hai. log aapase darate honge lekin aap to hamaare mitr ban gae hain. Jaise insaan gidagidaane ke bhaav mein bolata hai, usee tarah se gidagidaata raha.
Aadamee ka man to aisa vichitr hai ki vah lomri kee tarah se apana kaam karata hai. Koee cheej mil jae to angoor bahut meethe, na mil paaye to angoor khatte the. Manushy bada avasar vaadee hai. Insaan, neta kee tarah avasaravaadee hota hai. Neta kee pahachaan hotee hai ki ladane vaalon mein peechhe rahata hai aur bhaagane vaalon mein aage. Neta agar paanee mein gir jae to ekadam nahaana shuru kar deta hai. Galatee se gira hoga, par nahaana shuru kar dega aur logon ko bataana shuru kar dega ki yahaan nahaane mein bada puny milata hai, main aise hee yahaan nahin aaya hoon. Isee tarah se dubakee lagaane se aaraam milata hai, bada aanand milata hai. Vah aanand hee aapaka neta hai, aapako yahee to bhatakaata hai.
Manushy badee chaalaakee kee bhaasha bolata hai. us aadamee ne yamaraaj ko bahaka liya aur kaha, aap mile hain to ek main hee hoon jo aapaka svaagat karane vaala hoon, nahin to kaun aapako achchha kahane vaala hai. aap mile hain to do kadam to saath chalen. Chalane se nikatata to ho hee jaatee hai. Is jindagee mein koee do kadam saath chalata hai, koee saat kadam saath chalata hai. Jindagee bhar kaun kisaka saath nibhaata hai ? Aap mil gae ho, aapane bahut krpa kee. ab hamaara ek kaam jaroor kar dena. Yam ne poochha, bhaee kaun sa kaam? aadamee bola, ek din to aapane aana hee hai, lekin aisa ho ki jab aap aao to ham aapake svaagat kee taiyaaree to kar saken kyonki aap hamaare mehamaan ho aur mitr bhee ho. Isalie jab aao to aane se pahale ek baar apanee koee chitthee-patree bhej dena ki main aane vaala hoon. Ham kaam bhee samet lenge, thode taiyaar bhee ho jaenge, ek saath do kaam ho jaenge. Yam ne kaha ki mitrata kee baat hai to ham bhee vachan dete hain ki ham tumhaare paas aane se poorv patr bhej denge. to vah bola, agar jaldee patr bhej sako to achchhee baat hai. yam ne kaha, jaroor, tumhaara thoda jyaada dhyaan rakhenge. Ab vah aadamee duniya mein aakar mast ho gaya ki yam to hamaara mitr ho gaya, jab aaega to vah soochana avashy dega.
Ek din achaanak yam aa gaya. us aadamee ke saamane aakar usake kaan pakad ke kaha, utho bhaee, chalate hain ab to. Us aadamee ne chaunkakar poochha ki aapane koee patr to nahin bheja aur ekadam kah rahe ho ki chalo. yam ne kaha, mainne bahut patr bheje hain, par tumane ek bhee patr theek se nahin samajha. Aadamee bada ghabaraaya, usane kaha ki ek bhee patr mere paas nahin pahuncha. daakiya galat jagah pahunch gaya hoga. Yam ne kaha, mainne aise patr bheje hain jisakee raseed mere paas bhee hai aur tumhaare paas bhee hai, patr abhee tak dikhaee de raha hai. Saamane rakha hua hai. Aadamee ghabaraaya aur bola, aisa kaun sa patr hai? yam bola, jab tum bahut ulajhate ja rahe the, bada tanaav paida karate ja rahe the, raat aur din maara-maaree mein lage hue the ki yah ikattha kar loon, vah ikattha kar loon, tab mainne pahala patr bheja. Patr kya tha ki tumhaare kaanon ke paas mainne baalon mein thodee see saphedee kar dee. Is tarah mainne tumhen ishaara kiya ki ab tum ek kaam karo, shaant raho, shaant rahane ke din hain, tanaav badhaane ke nahin. Shaant rahoge to aanandit rahoge.
Saphed baal ka matalab hai ki ab ulajho nahin, ab sulajho. Jaise-jaise saphedee badhatee hai, to apane tanaav ko, kaam ko kam karate jao. ulajho nahin . Moh ke dhaage mein ulajhoge to dukhee hote jaoge. Is tarah mainne tumhaare paas pahala patr bheja. Duniya se koee vidaee leta hai to kaphan ka rang saphed rakha gaya hai kyonki yah shaanti ka rang hai. Kaheen jhagada chal raha ho to do deshon mein ladaee chal rahee ho to beech mein agar saphed jhanda dikha diya gaya to isaka matalab sandhi ka prastaav aa gaya, ab chup ho jaana chaahie. yam ne bhee kaha ki bhaee, mainne bhee saphed jhanda dikhaaya ki ab tum sandhi kar lo, duniya se samajhauta kar lo. Tum kab tak ladate rahoge? ulajhanen to aisee hee rahengee. ab thoda shaant rahane kee koshish karo. Lekin tumane dhyaan nahin diya aur apane baalon ko aur kaala kar liya. Aadamee bola, yah galatee to hamane kar lee, par aur bhee to koee cheej honee chaahie jo hamaaree samajh mein aae.
Yam ne kaha, usake baad mainne socha ki yah aadamee phir bhee dhyaan nahin deta, jabaki isake baal saphed ho rahe hain. mainne socha ho sakata hai isako sirph matalab kee cheejen hee dikhaee de rahee ho, jabaki antarmukhee hone ke lie baahar kee aankhen band karanee padatee hain. Tab mainne tumhaare dekhane kee shakti mein thodee see kamee paida kar dee. Tumane chashma lagaana shuru kar diya. usake baad bhee tum satark nahin hue. Aadamee ne kaha ki isake baad to aapane koee poorv soochana nahin bhejee. Yam bole, usake baad mainne socha ki tum khaane-peene par bada dhyaan de rahe ho, tab mainne tumhaare daant hilaane shuru kar die to tumane daanton ka ilaaj karaana shuru kar diya. Tum nakalee daant lagaane kee taiyaaree mein bhee aa gae lekin tumane meree taraph dhyaan nahin diya. lekin mainne jab dekha ki yah aadamee abhee bhee nahin samajh raha,
To mainne tumhaaree hajam karane kee shakti ko ksheen kar diya ki ab to yah aadamee samajhega. Tumane us par bhee dhyaan nahin diya. aage chalakar mainne tumhaare ghutanon mein dard karana shuru kiya ki ab kahaan jaana hai, bahut duniya dekh lee, ab kam se kam ek jagah baithakar ulajhane kee bajae sulajhane kee koshish karo, bhagavaan kee or aao, lekin tab bhee tumane dhyaan nahin diya. Aakhir mein yah nirnay kiya ki jinake lie tum tarasate ho, jinake peechhe tum bhaagate ho, unaka moh todane kee koshish kee, unheen ko rokane kee koshish kee. Tum boodhe ho gae, tumhaare paas koee nahin aata, akele baithe rahate ho, tum duniya ko bulaate ho par duniya tumhaare paas nahin aatee. mainne yah karake dekh liya lekin tumane phir bhee duniya kee chaahat aur moh-maaya ko apane andar basae rakha. tum akele baithakar bhee apanon ko yaad karate rahe.
Jo bhagavaan ke bande the, unaka to tumhen dhyaan hee nahin raha. main tumhen baar baar jagaata raha, chetaata raha lekin tumane koee bhee baat nahin sunee.
Ab main aa gaya hoon. Ab ye mat kahana ki mainne tumhen samajhane ka mauka nahin diya. Mainne to tumhen baar baar jagaaya lekin tum hee nahin jaage. main kya karoon. Vaastavikata to yahee hai ki yam ka sandesh sabake paas aata hai. vah yahee kahata hai ki insaan! too jaag. tum kahaan kho gae ho? Lekin insaan hai ki sansaar mein raat din apanee chintaon mein ulajhata jaata hai, phansata jaata hai. yahee duhkh ka kaaran hai. Jaise-jaise vivek jaagata hai to use pata lagata hai ki sansaar ka ek maarg vah bhee hai, jis par chalane se shaanti aatee hai jeevan mein itana kadava nahin banana ki duniya dhoo-dhoo kare, itana meetha bhee nahin banana ki duniya chabae aur kha jae. Is duniya mein dhoort aur dushton ke saamane drdh hona bhalon ke saamane vinamr ho jaana. Sansaar mein itana sangrah nahin karana ki duniya mein ulajh jao aur sangrah pravrti se itana door bhee nahin hat jaana ki tumhaara kaam hee na chal sake. Sansaar ke padaarthon ke sangrah ka dhyaan bhee karana lekin gun grahan karane ka abhyaas bhee karana. tum apane parivaar kee unnati par bhee dhyaan dena . Jahaan-jahaan insaan santulan le aata hai, usaka shrey maarg kahaan jaega. Ise madhyam maarg bhee kaha gaya hai. Jeevan mein ek santulan kaayam kar lo, aadarsh ko saamane rakhakar chalo. Achchhaee ke lie thoda kasht sahan karana pad jae to saho, lekin jo is tarah se chalata hai, aise logon se mrtyu aakar unaka shareer chheen kar le bhee jae to bhee unako koee maar nahin paata. Unakee gaathaen aise hee kahee jaatee hain jaise aaj bhee jinda baithe hon. Unaka naam hamesha hee liya jaata hai aur aisa vyakti jis parivaar, jis khaanadaan mein janm leta hai, usaka asar saat peedhiyon tak rahata hai.
Param pujya Sudhanshuji Maharaj
SARAL VICHAR
0 टिप्पणियाँ