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वृद्ध और आम का पेड़ | VRADH OR AAM KA PEDH | OLD MAN AND MANGO TREE | SARAL VICHAR

 वृद्ध और आम का पेड़ 

वृद्ध और आम का पेड़ | OLD MAN AND MANGO TREE  - www.saralvichar.in

कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था। वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था । प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी। 

एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है।
राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’
वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का...।" 

राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा|

 हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा, इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ 

वृद्ध ने राजा की ओर देखा। राजा की आँखों में मायूसी थी। उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा। 

यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है।’’ वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था।

 

 

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