एक ब्राह्मण रोता हुआ पांडवों के पास आया। जब पांडवों के 12 वर्ष वनवास के समाप्त होने वाले थे। वह एक वर्ष के अज्ञातवास की चिंता में मग्न थे। उस समय एक ब्राह्मण रोता हुआ आया और कहा कि मेरी कुटिया के बाहर अरणी की लकड़ी टंगी थी। (अरणी ऐसी लकड़ी होती है जिसे दूसरी अरणी से रगड़कर आग पैदा की जाती है।)
ब्राह्मण कहने लगा की एक हिरन मेरी कुटिया के बाहर शरीर को खुजलाने लगा और लकड़ी उसके सिंगों में अटक गई और वह घबराकर भाग गया।
उसने कहा कि अब मैं अग्नि कैसे उत्पन्न करूंगा?
पांचो भाई हिरण की खोज में गए। पर हिरण को ढूंढ नहीं पाए। उनको प्यास लगी तो पहले नकुल फिर सहदेव फिर अर्जुन और फिर भीम चारों को एक सरोवर के पास युधिष्ठिर ने बेहोश पाया।
वहां एक यक्ष रहता था। उसके सवालों के जवाब न देकर पानी पीने का नतीजा यह हुआ कि वह चारों एक-एक करके बेहोश हो गए। युधिष्ठिर ने भी अंत में पानी पीना चाहा तो यक्ष ने कहा मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए बिना तुम यह पानी नहीं पी सकते।
युधिष्ठिर बोले आप प्रश्न करें मैं उत्तर देने का प्रयास करूंगा।
ब्राह्मण कहने लगा की एक हिरन मेरी कुटिया के बाहर शरीर को खुजलाने लगा और लकड़ी उसके सिंगों में अटक गई और वह घबराकर भाग गया।
उसने कहा कि अब मैं अग्नि कैसे उत्पन्न करूंगा?
पांचो भाई हिरण की खोज में गए। पर हिरण को ढूंढ नहीं पाए। उनको प्यास लगी तो पहले नकुल फिर सहदेव फिर अर्जुन और फिर भीम चारों को एक सरोवर के पास युधिष्ठिर ने बेहोश पाया।
वहां एक यक्ष रहता था। उसके सवालों के जवाब न देकर पानी पीने का नतीजा यह हुआ कि वह चारों एक-एक करके बेहोश हो गए। युधिष्ठिर ने भी अंत में पानी पीना चाहा तो यक्ष ने कहा मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए बिना तुम यह पानी नहीं पी सकते।
युधिष्ठिर बोले आप प्रश्न करें मैं उत्तर देने का प्रयास करूंगा।
यक्ष ने प्रश्न किया- मनुष्य का साथ कौन देता है?
युधिष्ठिर ने कहा- धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है।
युधिष्ठिर ने कहा- धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है।
- पृथ्वी से भारी क्या है? -माता
- आकाश से ऊंचा कौन है? -पिता
- पवन से भी अधिक दिव्य गति किसकी है? मन की
- संख्या में तिनको से अधिक क्या है? -चिंता
- मृत्यु के समीप हुए पुरुष का मित्र कौन है? -दान
- मनुष्य की आत्मा क्या है? -पुत्र
- जगत को किस चीज ने ढक रखा है? अज्ञान ने
- सुखी कौन है? - जो ऋणी (कर्जदार) ना हो।
- सच्चा स्नान कौन सा है? - जो मन का मैल धो दे।
- काजल से भी अधिक काला क्या है? -कलंक
- लाभ का एक मात्र उपाय क्या है? - दान
- हवा से तेज कौन चलता है? - मन
- विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है? - विद्या
- किसे त्याग कर मनुष्य सबका प्रिय हो जाता है? - अहम भाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर।
- किस चीज के खो जाने पर दुख नहीं होता? - क्रोध
- किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है? - लोभ
- ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है? जन्म पर, विद्या पर या शीतल स्वभाव पर? - शीतल स्वभाव पर
- कौन सा उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?- अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है।
- सर्वोत्तम लाभ क्या है? -आरोग्य (निरोगी शरीर)
- धर्म से बढ़कर संसार में क्या है? - दया
- आकाश से ऊंचा कौन है? -पिता
- पवन से भी अधिक दिव्य गति किसकी है? मन की
- संख्या में तिनको से अधिक क्या है? -चिंता
- मृत्यु के समीप हुए पुरुष का मित्र कौन है? -दान
- मनुष्य की आत्मा क्या है? -पुत्र
- जगत को किस चीज ने ढक रखा है? अज्ञान ने
- सुखी कौन है? - जो ऋणी (कर्जदार) ना हो।
- सच्चा स्नान कौन सा है? - जो मन का मैल धो दे।
- काजल से भी अधिक काला क्या है? -कलंक
- लाभ का एक मात्र उपाय क्या है? - दान
- हवा से तेज कौन चलता है? - मन
- विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है? - विद्या
- किसे त्याग कर मनुष्य सबका प्रिय हो जाता है? - अहम भाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर।
- किस चीज के खो जाने पर दुख नहीं होता? - क्रोध
- किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है? - लोभ
- ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है? जन्म पर, विद्या पर या शीतल स्वभाव पर? - शीतल स्वभाव पर
- कौन सा उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?- अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है।
- सर्वोत्तम लाभ क्या है? -आरोग्य (निरोगी शरीर)
- धर्म से बढ़कर संसार में क्या है? - दया
- दया क्या है? - सब के सुख की इच्छा करना दया है।
- कैसे व्यक्तियों के साथ की गई मित्रता पुरानी नहीं पड़ती?
- सज्जनों के साथ की गई मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती।
- इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
- रोज हजारों लाखों लोग मरते हैं फिर भी सभी को अनंत काल तक जीते रहने की इच्छा होती है इससे बड़ा आश्चर्य क्या हो सकता है?
यक्ष प्रसन्न हो गया। उसने एक भाई को जीवित करने को कहा तो युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करने के लिए कहा।
यक्ष ने कहा कि भीम अधिक बल वाला है और अर्जुन के युद्ध कौशल ने सदा तुम लोगों की रक्षा की है। फिर तुमने उनमें से किसी को क्यों नहीं जीवित करने के लिए कहा।
युधिष्ठिर ने कहा- धर्म की रक्षा न भीम से ना अर्जुन से होती है। धर्म ही मनुष्य की रक्षा करता है।
मेरे पिता की दो पत्नियों थी। एक माता कुंती का पुत्र मैं जीवित हूं। मैं चाहता हूं की माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो जाए।
यक्ष अति प्रसन्न हुए कि उसने पक्षपात नहीं किया। यक्ष और कोई नहीं धर्मदेव यानी युधिष्ठिर के पिता ही थे और उन्होंने वर दिया तो चारों भाई जीवित हो गए।
- कैसे व्यक्तियों के साथ की गई मित्रता पुरानी नहीं पड़ती?
- सज्जनों के साथ की गई मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती।
- इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
- रोज हजारों लाखों लोग मरते हैं फिर भी सभी को अनंत काल तक जीते रहने की इच्छा होती है इससे बड़ा आश्चर्य क्या हो सकता है?
यक्ष प्रसन्न हो गया। उसने एक भाई को जीवित करने को कहा तो युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करने के लिए कहा।
यक्ष ने कहा कि भीम अधिक बल वाला है और अर्जुन के युद्ध कौशल ने सदा तुम लोगों की रक्षा की है। फिर तुमने उनमें से किसी को क्यों नहीं जीवित करने के लिए कहा।
युधिष्ठिर ने कहा- धर्म की रक्षा न भीम से ना अर्जुन से होती है। धर्म ही मनुष्य की रक्षा करता है।
मेरे पिता की दो पत्नियों थी। एक माता कुंती का पुत्र मैं जीवित हूं। मैं चाहता हूं की माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो जाए।
यक्ष अति प्रसन्न हुए कि उसने पक्षपात नहीं किया। यक्ष और कोई नहीं धर्मदेव यानी युधिष्ठिर के पिता ही थे और उन्होंने वर दिया तो चारों भाई जीवित हो गए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि धर्म का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है। धर्म ही मनुष्य की रक्षा करता है।
Ek Braahman Rota Hua Paandavon Ke Paas Aaya. Jab Paandavon Ke 12 Varsh Vanavaas Ke Samaapt Hone Vaale The. Vah Ek Varsh Ke Agyaatavaas Kee Chinta Mein Magn The. Us Samay Ek Braahman Rota Hua Aaya Aur Kaha Ki Meree Kutiya Ke Baahar Aranee Kee Lakadee Tangee Thee. (Aranee Aisee Lakadee Hotee Hai Jise Doosaree Aranee Se Ragadakar Aag Paida Kee Jaatee Hai.)
Braahman Kahane Laga Kee Ek Hiran Meree Kutiya Ke Baahar Shareer Ko Khujalaane Laga Aur Lakadee Usake Singon Mein Atak Gaee Aur Vah Ghabaraakar Bhaag Gaya. Usane Kaha Ki Ab Main Agni Kaise Utpann Karoonga?
Paancho Bhaee Hiran Kee Khoj Mein Gae. Par Hiran Ko Dhoondh Nahin Pae. Unako Pyaas Lagee To Pahale Nakul Phir Sahadev Phir Arjun Aur Phir Bheem Chaaron Ko Ek Sarovar Ke Paas Yudhishthir Ne Behosh Paaya.
Vahaan Ek Yaksh Rahata Tha. Usake Savaalon Ke Javaab Na Dekar Paanee Peene Ka Nateeja Yah Hua Ki Vah Chaaron Ek-ek Karake Behosh Ho Gae. Yudhishthir Ne Bhee Ant Mein Paanee Peena Chaaha To Yaksh Ne Kaha Mere Prashnon Ke Uttar Die Bina Tum Yah Paanee Nahin Pee Sakate. Yudhishthir Bole Aap Prashn Karen Main Uttar Dene Ka Prayaas Karoonga.
Yaksh Ne Prashn Kiya- Manushy Ka Saath Kaun Deta Hai?
Yudhishthir Ne Kaha- Dhairy Hee Manushy Ka Saath Deta Hai.
Prthvee Se Bhaaree Kya Hai? -maata
- Aakaash Se Ooncha Kaun Hai? -pita
- Pavan Se Bhee Adhik Divy Gati Kisakee Hai? -Man Kee
- Sankhya Mein Tinako Se Adhik Kya Hai? -chinta
- Mrtyu Ke Sameep Hue Purush Ka Mitr Kaun Hai? -daan
- Manushy Kee Aatma Kya Hai? -putr
- Jagat Ko Kis Cheej Ne Dhak Rakha Hai? Agyaan Ne
- Sukhee Kaun Hai? - Jo Rnee (Karjadaar) Na Ho.
- Sachcha Snaan Kaun Sa Hai? - Jo Man Ka Mail Dho De.
- Kaajal Se Bhee Adhik Kaala Kya Hai? -kalank
- Laabh Ka Ek Maatr Upaay Kya Hai?
- Daan
- Hava Se Tej Kaun Chalata Hai?
- Man
- Videsh Jaane Vaale Ka Saathee Kaun Hota Hai?
- Vidya
- Kise Tyaag Kar Manushy Sabaka Priy Ho Jaata Hai?
- Aham Bhaav Se Utpann Garv Ke Chhoot Jaane Par.
- Kis Cheej Ke Kho Jaane Par Dukh Nahin Hota?
- Krodh
- Kis Cheej Ko Ganvaakar Manushy Dhanee Banata Hai?
- Lobh
- Braahman Hona Kis Baat Par Nirbhar Hai? Janm Par, Vidya Par Ya Sheetal Svabhaav Par?
- Sheetal Svabhaav Par
- Kaun Sa Upaay Hai Jisase Jeevan Sukhee Ho Jaata Hai?
- Achchha Svabhaav Hee Sukhee Hone Ka Upaay Hai.
- Sarvottam Laabh Kya Hai?
-aarogy (Nirogee Shareer)
- Dharm Se Badhakar Sansaar Mein Kya Hai?
- Daya
- Kaise Vyaktiyon Ke Saath Kee Gaee Mitrata Puraanee Nahin Padatee?
- Sajjanon Ke Saath Kee Gaee Mitrata Kabhee Puraanee Nahin Padatee.
- Is Jagat Mein Sabase Bada Aashchary Kya Hai?
- Roj Hajaaron Laakhon Log Marate Hain Phir Bhee Sabhee Ko Anant Kaal Tak Jeete Rahane Kee Ichchha Hotee Hai Isase Bada Aashchary Kya Ho Sakata Hai?
Yaksh Prasann Ho Gaya. Usane Ek Bhaee Ko Jeevit Karane Ko Kaha To Yudhishthir Ne Nakul Ko Jeevit Karane Ke Lie Kaha. Yaksh Ne Kaha Ki Bheem Adhik Bal Vaala Hai Aur Arjun Ke Yuddh Kaushal Ne Sada Tum Logon Kee Raksha Kee Hai. Phir Tumane Unamen Se Kisee Ko Kyon Nahin Jeevit Karane Ke Lie Kaha. Yudhishthir Ne Kaha- Dharm Kee Raksha Na Bheem Se Na Arjun Se Hotee Hai.
Dharm Hee Manushy Kee Raksha Karata Hai. Mere Pita Kee Do Patniyon Thee. Ek Maata Kuntee Ka Putr Main Jeevit Hoon. Main Chaahata Hoon Kee Maata Maadree Ka Bhee Ek Putr Jeevit Ho Jae.
Yaksh Ati Prasann Hue Ki Usane Pakshapaat Nahin Kiya. Yaksh Aur Koee Nahin Dharmadev Yaanee Yudhishthir Ke Pita Hee The Aur Unhonne Var Diya To Chaaron Bhaee Jeevit Ho Gae. Yah Kahaanee Hamen Sikhaatee Hai Ki Dharm Ka Paalan Karana Sabase Mahatvapoorn Hai. Dharm Hee Manushy Kee Raksha Karata Hai.
SARAL VICHAR
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