Ticker

7/recent/ticker-posts

रावण के अंतिम शब्दों में छिपे हैं जीवन के कई रहस्य | RAVAN KE ANTIM SHABDON ME CHHIPE HAI JEEVAN KE KAI RAHASYA | Many Secrets Of Life Are Hidden In Ravana's Last Words In Hindi By Saral Vichar


नाभि में लगे हुए श्रीराम के तीर रावण को मृत्यु तक धकेल चुके थे। श्रीराम जानते थे कि रावण आज अकेले दम नहीं तोड़ेगा, उसके साथ ज्ञान और पांडित्य का अनंत आकाश भी कांच की तरह चटककर टूट जाएगा। तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा, 'अनुज, इस सृष्टि का प्रकांडतम विद्वान अंतिम सांस लेने वाला है। जाओ, उससे अनुरोध करो कि वो संसार से जाते-जाते तुम्हारी झोली में कुछ ज्ञान-रत्न डाल दे।'

लक्ष्मण गए, रावण से ज्ञान निवेदन किया। रावण ने सुना तो लेकिन कहा कुछ नहीं, बस मुंह फिरा लिया।
लक्ष्मण उत्तेजित हो गए। वापस आए और बोले, 'प्राण जाने को हैं, लेकिन इसका अहंकार नहीं जा रहा।' राम ने कहा, 'क्या तुम इतना भी नहीं समझ पाए कि तुमसे मुंह फिराना ही रावण का पहला ज्ञान था। तुम सिरहाने खड़े होकर गुरु से ज्ञान मांग रहे थे। शिष्य का स्थान गुरु के चरणों में है, उसके सिर पर नहीं।'

इस बार लक्ष्मण रावण के पैरों के पास खड़े हुए और सृष्टि के उस सबसे बड़े ज्ञानी ने उन्हें सफल जीवन के कुछ सूत्र दिए।
ये सूत्र इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये उस व्यक्ति के मुख से निकले हैं, जिसने जीवन में अपने पुरुषार्थ से सब कुछ पा लिया और फिर अपने अहंकार से सब कुछ खो दिया।



भगवान राम के तीखे बाणों से दशानन धराशायी हो गया। भगवान जानते थे कि एक महा ज्ञानी, पंडित और राजनीतिज्ञ आज संसार से जा रहा है। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि रावण अपनी अंतिम साँसें गिन रहा है। तुम जाओ, उससे कुछ ज्ञान की बात सीखकर आओ। लक्ष्मण जाकर ज्ञानोपदेश के लिए रावण से निवेदन किया। रावण ने कहा --'राम तो त्रिलोक के स्वामी हैं, सर्वज्ञ हैं। वे क्या नहीं जानते हैं? फिर भी यदि इस दास से कुछ सुनना चाहते हैं तो पहले मुझे मेरे अंत समय में दर्शन देने की कृपा करें, तब मैं कुछ सुनाऊँगा।'
श्रीराम रावण के सम्मुख गए। तब रावण ने कहा—'प्रभु! ये मेरा अंतिम समय है। फिर भी कुछ सुनाता हूँ।'

1. मनुष्य को यदि कोई शुभ कर्म करने की इच्छा हो जाए तो उसे शीघ्र ही कर लेना चाहिए और यदि कोई अशुभ कर्म करने की इच्छा हो जाए तो उसे टालते-टालते टाल ही देना चाहिए। मैं कोई पढ़ी- सुनी बात नहीं कहता हूँ, अपने जीवन के अनुभव से जो मैंने सीखा है, वही कह रहा हूँ। एक बार मैं नरक की ओर से गुजर रहा था। वहाँ मैंने देखा कि जीवों को बहुत दुःख दिया जाता है। मेरे मन में आया कि मैं धरती से स्वर्ग तक सीढ़ी लगा दूँ ताकि सभी जीव आसानी से स्वर्ग जा सके, किसी को नरक जाना ही नहीं पड़े।

2. समुद्र के खारे जल को देखकर मेरे मन में आया कि क्यों ना इस अपेय जल को उलीच दूँ और समुद्र में दूध, घी, मक्खन आदि भर दूँ। इससे लोगों को बहुत सुविधा हो जाएगी।

3. मेरी लंका सोने की है, पर मैं सोचा करता था कि यदि सोना में सुगंध भी हो जाए तो कितना अच्छा होगा! मैं सोना में सुगंध भर देना चाहता था। देव, दानव, यक्ष, गंधर्व यहाँ तक की इंद्र, ब्रह्मा और विश्वकर्मा भी मेरे अधीन थे। मेरे लिए ये सब करना कोई बड़ी बात नहीं थी, पर मैं आज कल कहकर टालते चला गया। सोचा करता था कि इन कार्यों को कभी कर लूँगा। ये मुझसे बड़ी गलती हुई। अब इन्हें पूर्ण करने का समय ही नहीं बचा है।

दूसरी तरफ एक बार में आकाश मार्ग से गुजर रहा था तो मैंने जंगल में एक सुंदरी स्त्री को देखा। उसे देखकर मेरे मन में कुविचार उत्पन्न हुआ कि इस सुंदरी को भी अपनी पत्नी बनाऊँगा। हे राम! मैं जानता था कि पराई स्त्री पर बुरी नजर डालना पाप है, लेकिन मैं अपने आप को रोक ना सका और मैंने आपकी भार्या का अपहरण कर लिया। यदि मैं अपने उस कुविचार को उस दिन रोक पाता तो आज यह बुरा दिन देखना नहीं पड़ता। इसलिए मैंने कहा कि शुभ कर्म को शीघ्र कर लेना चाहिए और अशुभ कर्म को सदा के लिए टाल देना चाहिए, तभी जीवन में कल्याण संभव है।

4. अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। पर, मैं यह भूल कर गया। मैंने न केवल हनुमान को छोटा समझा बल्कि मनुष्य को भी छोटा समझा। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान माँगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था, क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। ये मेरी गलती थी।

रावण ने अंतिम बात ये बताई कि-

5. अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहाँ भी मुझसे गलती हुई। मैंने अपनी मृत्यु का राज अपने भाई विभीषण को बताया, जो आज मेरी मौत का कारण बन गया। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। इतना कहकर रावण का गला अवरुद्ध हो गया और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

कुछ लोग कहते हैं कि रावण ने मरते वक्त ज्ञान नहीं दिया था पर जो ऊपर ज्ञान की बातें लिखी हुई हैं वह तो फिर भी हर इंसान के लिए उतने ही सच्ची हैं। चाहे तो आजमा लो।

‌SARAL VICHAR

एक टिप्पणी भेजें (POST COMMENT)

0 टिप्पणियाँ