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जिंदगी का सत्य | JINDAGI KA SATYA | TRUTH OF LIFE | SARAL VICHAR

जिंदगी का सत्य | JINDAGI KA SATYA | TRUTH OF LIFE | SARAL VICHAR


जैसे-जैसे उम्र गुजरने लगती है। यह एहसास होने लगता है कि 
मां-बाप हर चीज के बारे में सही कहा करते थे। 

दो चीजों पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है।
आमदनी ठीक ना हो तो खर्चों पर और 
जानकारी ठीक ना हो तो शब्दों पर।। 

एक बार भगवान से किसी ने पूछा तुम भी कमाल करते हो। किसी को इतना खूबसूरत और किसी को इतना बदसूरत बना देते हो।
आखिर ऐसा क्यों करते हो? सभी को सुंदर बनाने में तुम्हारा क्या जाता है? 

भगवान ने मुस्कुरा कर कहा मैं जब मिट्टी गूंथता हूं तो सुंदरता और कुरूपता का अनुपात सभी के लिए बराबर ही लेता हूं। पर किसी की सुंदरता बाहर रह जाती है और किसी में भीतर।


हमेशा ही इन ब्रांडेड चीजों का इस्तेमाल करें। 

होठों के लिए सत्य, आवाज के लिए प्रार्थना, आंखों के लिए दया, हाथों के लिए दान, हृदय के लिए प्रेम, चेहरे के लिए हंसी और बड़ा बनने के लिए माफी।

आपको हर वक्त पता होता है कि आपके पास कितनी दौलत है। 
लेकिन आप यह बिल्कुल नहीं जानते कि आपके पास कितना वक्त है। 

मैं खुश हूं इनकी वजह से। मैं उदास हूं.. उनकी वजह से। 
मन की स्थिति का जिम्मेदार दूसरों को ठहरा कर हम अपनी शक्ति को भूल जाते हैं।
अब से यह कहना है मैं उदास हूं, नाराज हूं, खुश हूं सिर्फ अपनी सोच की वजह से।


जब कोई दुख है तो उसे स्वीकार करके देखो। छोटा-मोटा दुख प्रयोग करके देखो और स्वीकार कर लो। ऐसा मत सोचो कि मेरे ऊपर कोई विपदा आ गई है। ऐसा मत सोचो कि परमात्मा मेरे साथ अन्याय कर रहा है।शिकवा शिकायत नहीं लाओ, गिला मन में नहीं लाओ। इतना ही जानो कि मैं कुछ दुख बोए होंगे, इसलिए फल काट रहा हूं।

गांव में नीम के पेड़ कम हो रहे हैं और घरों में कड़वाहट बढ़ती ही जा रही है। जुबां में मिठास काम हो रही है और शरीर में शुगर बढ़ती ही जा रही है।

किसी महापुरुष ने सच ही कहा था कि जब किताबें सड़क किनारे रखकर बिकेंगी और जूते कांच के शोरूम में बिकेंगे तब समझ जाना कि लोगों को ज्ञान की नहीं जूतों की जरूरत है। 

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कोई भी व्यक्ति आपके पास तीन ही परिस्थितियों में आता है... भाव से... अभाव से या फिर प्रभाव से । 
यदि वह भाव में आया है तो उसे प्रेम दीजिए। 
अभाव में आया है तो उसकी मदद कीजिए और 
यदि प्रभाव में आया है तो प्रसन्न हो जाइए कि परमात्मा ने आपको इतनी क्षमता दी है। 

यह जिंदगी है। कई रंग दिखाएगी। कभी रुलाएगी तो कभी हंसाएगी। जो खामोशी से सह गया वह निखर जाएगा। 
जो भावनाओं में बह गया वह बिखर जाएगा। 

यदि पेड़ में उसकी क्षमता से अधिक फल लग जाए तो उसकी डालियां टूटना शुरू हो जाती है और इंसान को औकात से ज्यादा मिल जाए तो वह भी रिश्तों को तोड़ना शुरू कर देता है। 
नतीजा...आहिस्ता आहिस्ता पेड़ फल से वंचित हो जाता है और इंसान रिश्तों से। 

ध्यान से सोचना इस बात को... 
पैसे हैं तो रिश्ते कम हैं। 
रिश्ते हैं तो पैसे कम हैं।
दोनों है तो सेहत कम है। 
तीनों है तो जीवन कम है। 

कहीं कुछ है तो कहीं कुछ कम है। सब कुछ मिलना बहुत कठिन है। 
कहते हैं ना.... कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमीं तो कहीं आसमान नहीं मिलता।
अगर सब कुछ है तो यहीं स्वर्ग है और स्वर्ग में हम हैं।

 

सरल विचार 




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