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जीवन जीने की कला खान-पान के माध्यम से (यौवन सुरक्षा)| JEEVAN JEENE KI KALA KHAN-PAAN KE MADHYAM SE (Yauvan Suraksha|) | (Youth Protection) Art Of Living Life Through Food And Drink In Hindi By Saral Vichar



ईरान के बादशाह वहमन ने एक श्रेष्ठ वैद्य से पूछा :

      दिन में मनुष्य को कितना खाना चाहिए?

      सौ दिराम (अर्थात् 31 तोला)। वैद्य बोला ।

      इतने से क्या होगा? बादशाह ने फिर पूछा 

      वैद्य ने कहा : शरीर के पोषण के लिये इससे अधिक नहीं चाहिए। इससे अधिक जो कुछ खाया जाता हैवह केवल बोझा ढोना है और आयुष्य खोना है ।”

 

      लोग स्वाद के लिये अपने पेट के साथ बहुत अन्याय करते हैंठूँस-ठूँसकर खाते हैं। यूरोप का एक बादशाह स्वादिष्ट पदार्थ खूब खाता था । बाद में औषधियों द्वारा उलटी करके फिर से स्वाद लेने के लिये भोजन करता  रहता था । वह जल्दी मर गया

 

      आप स्वादलोलुप नहीं बनो। जिह्वा को नियंत्रण में रखो । क्या खायेंकब खायेंकैसे खायें  और  कितना खायें इसका विवेक नहीं रखा तो पेट खराब होगाशरीर को रोग घेर लेंगेवीर्यनाश को प्रोत्साहन मिलेगा और अपने को पतन के रास्ते जाने से नहीं रोक सकोगे 

 

      प्रेमपूर्वकशांत मन सेपवित्र स्थान पर बैठ कर भोजन करो । जिस समय नासिका का दाहिना स्वर (सूर्य नाड़ी) चालू हो उस समय किया भोजन शीघ्र पच जाता हैक्योंकि उस समय जठराग्नि बड़ी प्रबल होती है । भोजन के समय यदि दाहिना स्वर चालू नहीं हो तो उसको चालू कर दो । उसकी विधि यह है बाँयी (वाम) करवट लेट जाओ । थोड़ी ही देर में दाहिना याने सूर्य स्वर चालू हो जायेगा

 

      रात्रि को बाँयी करवट लेटकर ही सोना चाहिए । दिन में सोना उचित नहीं किन्तु यदि सोना आवश्यक हो तो दाहिनी करवट ही लेटना चाहिए 

 

      एक बात का खूब ख्याल रखो । यदि पेय पदार्थ लेना हो तो जब चन्द्र (बाँया) स्वर चालू हो तभी लो यदि सूर्य (दाहिना) स्वर चालू हो और आपने दूधकाफीचायपानी या कोई भी पेय पदार्थ पीना पड़े तो दाहिना नथुना बन्द करके बाँये नथुने से श्वास लेते हुए ही पियो 

 

      रात्रि को भोजन कम करो । भोजन हल्का-सुपाच्य हो । बहुत गर्म-गर्म और देर से पचने वाला गरिष्ठ भोजन रोग पैदा करता है। अधिक पकाया हुआतेल में तला हुआमिर्च-मसाले युक्त,  तीखाखट्टाचटपटेदार भोजन वीर्यनाड़ियों को क्षुब्ध करता है । अधिक गर्म भोजन और गर्म चाय से दाँत कमजोर होते हैं शुक्रीय द्रव कम हो सकता है।

 

      भोजन खूब चबा-चबाकर करो। थके हुए हो तो तत्काल भोजन न करो भोजन के तुरंत बाद परिश्रम न करो

 

      भोजन के पहले पानी न पियो । भोजन के बीच में तथा भोजन के एकाध घंटे के बाद पानी पीना हितकर होता  है |

 

      रात्रि को संभव हो तो फलाहार लो । अगर भोजन लेना पड़े तो अल्पाहार ही करो। बहुत रात गये भोजन या फलाहार करना हितावह नहीं है । कब्ज की शिकायत हो तो 50 ग्राम लाल फिटकरी तवे पर फुलाकरकूटकरकपड़े से छानकर बोतल में भर लो। रात्रि में 15 ग्राम  सौंफ एक गिलास पानी में भिगो दो | सुबह उसे उबाल कर छान लो और ड़ेढ़ ग्राम फिटकरी का पाउडर मिलाकर पी लो । इससे कब्ज व बुखार भी दूर होता है ।  कब्ज तमाम बिमारियों की जड़ है । इसे दूर करना आवश्यक है

 

      भोजन में पालकपरवलमेथीबथुआ आदि हरी तरकारियाँदूधघीछाछमक्खनपके हुए फल आदि विशेष रूप से लो। इससे जीवन में सात्त्विकता बढ़ेगी। कामक्रोधमोह आदि विकार घटेंगे। हर कार्य में प्रसन्नता और उत्साह बना रहेगा

 

      रात्रि में सोने से पूर्व गर्म-गर्म दूध नहीं पीना चाहिए । इससे रात को स्वप्नदोष हो जाता है

 

      कभी भी मल-मूत्र की शिकायत हो तो उसे रोको नहीं । रोके हुए मल से भीतर की नाड़ियाँ क्षुब्ध होकर शुक्रीय द्रव नाश कराती हैं 

 

      पेट में कब्ज होने से ही  अधिकांशतः रात्रि को  परेशान करता है  इसलिये पेट को साफ रखो इसके लिये कभी-कभी त्रिफला चूर्ण या इसबगुल पानी के साथ लिया करो अधिक तिक्तखट्टीचरपरी और बाजारू औषधियाँ उत्तेजक होती हैंउनसे बचो कभी-कभी उपवास करो पेट को आराम देने के लिये कभी-कभी निराहार भी रह सकते हो तो अच्छा है |

    

साभार - यौवन सुरक्षा


SARAL VICHAR

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